Category: Sher

  • दुआ

    खूबसूरत बहुत हैं, यही सोचकर,इन किताबों के पन्ने पलट लीजिएना मेरा ना तेरा तो किसी और का,हो मुकम्मल कोई तो ख़्वाब, दुआ कीजिए।।

  • हाफ़िज़

    मेरे घर की हिफ़ाज़त है अब उसके हवाले,ख़ुदा उसके घर को महफ़ूज़ रक्खे।।

  • तौर ए ज़िंदगी

    मुझको सिखा रहे हैं वो तौर–ए–ज़िंदगी,जंगल के रास्ते, जिसने देखे ही नहीं।।

  • हर्फ-ए-नाकामी

    ताज़िर ही बन सका ना शायर ही बन सकाहर्फ-ए-नाकामी लिखता रहा, यूं ही तमाम उम्र।।

  • तसव्वुर

    कैसे मैं छुपाऊं अपने तसव्वुर में तुझे?रोजनामों में रोज छपते हैं ख्यालात मेरे।।

  • रंज

    मैं इससे बड़ा रंज, उसे क्या देता मैंने क्यों छोड़ दिया उसको, उसे मालूम ही नहीं ||

  • मसहले

    जाने क्या मसहले हैं ये शायरों के साथहाले दिल भी कहते हैं तो गज़ल लगती है

  • एक सवाल

    फिर एक बार उसके दरवाज़े पे कदम ठहर गये क्या इस मर्तबा भी दर्द-ए-दिल की दुहाई देंगे ? दलील-ए-इश्क होगी, तू मेरा खुदा , मेरा दिलबर, मेरा महबूब है, या शिकंजा-ए-हुस्न से दिल-ए-नादां को रिहाई देंगे ?

  • जुर्म

    यह एक ऐसा जुर्म है, जिसकी कोई सज़ा नही,उसको खुदा बना दो, वो इंसा भी ना रह पाएगा ।।

  • रिहाई

    मेरी मुहब्बत कटघरे में खड़ी रही बरसों,मैं दलील देता रहा, रिहाई माँगता रहा।।

  • वज़ह

    मैं तुम्हें रोज़ ही कहता हूँ, कि तुमसे मुहब्बत है,तुम इसी बात में उलझे हो, कि मुहब्बत क्यों है?

  • वहम

    ये बग़ीचा भी कभी फूलों से सराबोर होगा, रोज़ दुआ करता हूँ कि ये मेरा वहम ना हो।।

  • दीद-ए-रूह

    मैं तुम्हारी जुस्तज़ू में उम्र भर तन्हा रहा,आरज़ू-ए-दीद-ए-रूह थी, और ज़िस्म से लिपटा रहा।।

  • बधाई

    बधाई के फूल देखकर वो कब्र याद आती है,जिसकी ज़मीन में बरसों से मेरा रिश्ता दफ़्न है।।

  • ज़ख़्म

    बधाई दे के मुझे इस बात का सबूत ना दो,कि ज़ख़्म जो मरहम से ढक रक्खे थे, अभी भरे ही नहीं।।

  • रिश्ते

    कोरे कागज़ पे खींच दी, एक रिश्ते की पगडंडियां जाने किसकी याद आई और पेंसिल चल गई ।

  • चाबियाँ

    ना ही तेरे हाथ में, ना ही मेरे हाथ में, क़िस्मतों की चाबियाँ हैं, उस ख़ुदा के हाथ में।।

  • मेरे ज़हन में..

    ये चिराग बुझा दो, मेरे ज़हन में अंधेरा कर दोकि दो पल जो तेरी याद से रोशन हैं, उनका भी दम घुट जाएगा ।।

  • ख़ुदा

    मुझको खुदा बनाकर उसने शानों पे रख दियावो खुदा समझ रहे थे, मैं इंसा भी ना रह सका।।

  • पैमाना

    सिर्फ़ बोतल का ही जुर्म नहीं नशा करनामुकदमा है की पैमाने को भी परखा जाए ।।

  • सफ़र

    हर एक आदमी, जो सफ़र में हैयूं ना समझना कि वो मुसाफिर हैकोई घर छोड़ के निकला है मंजिलों के लिए, किसी तलाश का मकसद महज़ इक घर ही है।।

  • खेल

    खेलिए, फिर के चाहे जीतिए कि हार जाइएक्यूं बिस्तर में बैठ उम्र यूं ज़ाया गुज़ारिएख़ार तो इसलिए हैं कि गुल महफूज़ रहेंयूं नाराज़ होके गुलिस्तां से ना जाइए

  • ‘अता

    तेरी आरजू भी सही, हरकार ओ दरकार भी सहीपर जो तुझको ‘अता है, क्या वो तुझको पता है ?

  • हौसले

    कह दो आसमां से, बुलंद करे कहर अपनाहौसले बाकी है अभी, तेरे यार के सीने में ।।

  • #Lockdown

    रोज़ कहता है मुझे, आज अकेले ही नहींआइने से जब भी मुखातिब हुआ करता हूंकब से देखा नहीं तुमको नहाते मैंनेये lockdown खत्म हो, बस ये ही दुआ करता हूं

  • #Social Distancing

    जब भी मिलता था तो गले से लगाता था मुझे,वो शख्स जो दस कदम की दूरी से Hello कह गया ।।

  • दीवारें

    राज़ की बात जब कहते थे, तो सुनते थेकि कान होते हैं दीवारों के भी,आज थोड़ी फुर्सत से जो बैठा तो जानाकि दीवारें बोलती भी हैं ।।

  • ज़न्नत

    होती है ज़ुत्सजु मुझे जब भी वस्ल-ए-यार की, मैं खुदा से माँगता हूँ, मुझे ज़न्नत नसीब कर ||

  • हमदर्द

    हर हमदर्द मेरा दर्द बढ़ा जाता है,जाने कब आएगा उन्हें मरहम लगाने का शऊरग़र मेरी दोस्ती मेरा साथ निबाह चाहते हो,सीख लो तुम भी ज़ख़्म खुरचने का हुनर ||

  • फ़िक्र-ए-दुनिया

    फ़िक्र-ए-दुनिया में उलझा हूँ बेखबर बेहिसआईना मुझसे पशेमां है, कि मैं आइने से ?

  • आरज़ू

    तुम साथ ना भी दो तो कोई गिला नहीं,बस एक आरजू थी दिल की, तुम्हे हमसफ़र बनाते ||

  • मेरे साथ तो चलो

    तुम्हे हयात की दीवारीयों से कहीं दूर ले चलूँगाकिसी रहगुज़र पे दो घडी मेरे साथ तो चलो ||

  • हमसफ़र

    तेरी रहगुज़र कोई और है, मेरा रास्ता कुछ और है, जुदा रास्ते, जुदा मंजिलें, फिर हमसफ़र की गुमानी क्यों ?

  • तेरी आहट

    तेरी ख्वाहिश भी नहीं, तेरी तमन्ना भी नहीं, फिर क्यूँ तेरी आहट पे दिल धक् से रह जाए है ||

  • इश्क ?

    ये रूकी रूकी सी बातें,  ये हांफती सी सांसें

  • हुनर

    जज़्बात मेरे अश्क़ों की सूरत बहे जाते हैं

  • सीरत

    तू किस उम्मीद से मेरे ज़ानिब निग़ाह रक्खे है

  • काफिर

    भीतर कभी किसी को कुछ पाते नहीं देखा

  • आरज़ू

    दिल ने कुछ और भी पाने की आरज़ू की है ।।

  • इंतज़ार

    आमद ऐ ख़त न हुआ, क़यामत का इंतज़ार हुआ ।

  • मैं सितारों की बुलंदी आज़माना चाहता हूँ

    मै सितारों की बुलंदी आज़माना चाहता हूँ ।

  • रास्ते

    कुछ इस तरह से मैं गुम हुआ, नए रास्तों की तलाश में ।

  • मुझे मंज़िलों ने…

    मुझे मंज़िलों ने देर तक, बड़ी दूर तक आवाज़ दी ।

  • हयात

    ना हयात काबिल-ए-कद्र थी, ना ही मौत में कोई लुत्फ़ आया ना तो वस्ल-ए-यार मिला मुझे, ना ही हिज़्र ने मेरा दिल जलाया वो तो रोज मुझसे मिला किया, मेरे ख़्वाब मेरे ख्याल में ना ग़म-ए-हयात का ज़िक्र था, ना ही हाल-ए-दिल का बयान आया ||