मुरीद

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ना शब ए फ़िराक है ना वस्ल ए यार
ना उम्मीद की ही कोई बयार
ना हबीब है ना रकीब है
बनी ज़िंदगी इक सलीब है ।

मैं दुआ भी मांगूं तो किसके दर
है कमाल-ए-शब पे मेरी नज़र
ना दुआ ही दे, ना दवा ही कर
मैं मुरीद हूँ, मुझे प्यार कर
मैं मुरीद हूँ, मुझे प्यार कर ।।

2 responses to “मुरीद”

  1. बहुत खूब बहुत ही अच्छा लिखा है आपने।

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  2. वाह वाह क्या बात क्या बात मैं मुरीद हु मुझे प्यार कर क्या बात है बहुत ही शानदार आदरणीय 👌👌👌👌

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